गुजरात : दो सालों में राज्य में 143 शावकों सहित 286 एशियाई शेरों की मौत हुई

अहमदाबाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अंबानी की महत्वाकांक्षी परियोजना वनतारा का उद्घाटन किया और इसका दौरा किया। यहां पीएम मोदी वन जीवों के साथ तस्वीर भी खिचाते और शावक को दूध पिलाते नजर आए। लेकिन ठीक उसी दिन गुजरात विधानसभा में एक ऐसी रिपोर्ट पेश की गई जो जिसमें बताया गया कि राज्य में बीते दो साल में 286 शेरों की मौत हुई है।

दरअसल, राज्य के वन मंत्री मुलुभाई बेरा ने मंगलवार को विधानसभा को यह जानकारी दी कि गुजरात में गत दो साल में कम से कम 286 शेरों की मौत हो गई, जिनमें 143 शावक भी शामिल हैं। इनमें से 58 शेरों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुईं।।

बेरा ने प्रश्नकाल के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस विधायक शैलेश परमार के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राज्य में दो वर्षों – 2023 और 2024 – में 140 शावकों सहित 456 तेंदुओं की भी मौत हुई है।

दो साल में 286 शेरों की मौत
राज्य विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले दो सालों में राज्य में 143 शावकों सहित 286 एशियाई शेरों की मौत हुई है। इनमें से 58 अप्राकृतिक मौतें थीं। इसके अलावा, इसी अवधि के दौरान 456 तेंदुए और तेंदुए के शावकों की मौत की सूचना मिली। 2023 में 58 वयस्क शेर और 63 शावकों की मौत हुई, जबकि 2024 में मृत्यु दर बढ़कर 85 वयस्क शेर और 80 शावक हो गई। तेंदुओं की मौतों में सरकार ने कहा कि 2023 में 71 शावकों सहित 225 तेंदुए मारे गए, जबकि 2024 में मृत्यु दर बढ़कर 231 हो गई, जिसमें 69 शावक शामिल थे। कुल मिलाकर, 153 तेंदुए की मौतें अप्राकृतिक थीं।

विशेषज्ञ का चौंकाने वाला खुलासा
टीओआई से बातचीत में एक एक वन्यजीव विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि आमतौर पर जब बड़ी बिल्लियों की बात आती है तो शावकों की मृत्यु की संख्या वयस्कों की मृत्यु से अधिक होती है। ऐसा नरभक्षण के कारण होता है। यहां तक कि शावकों के पहले तीन वर्षों तक जीवित रहने की संभावना बहुत कम है। यह लगभग 40 फीसदी है। चिंता का एक और मामला यह है कि वयस्क शेरों की मृत्यु 2023 से 2024 में 46 फीसदी बढ़ गई। विशेषज्ञ ने कहा कि इस मामले की जांच की जानी चाहिए क्योंकि इसका एक कारण किसी बीमारी का प्रकोप हो सकता है। उन्होंने कहा कि शावकों की उच्च मृत्यु दर आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि गिर में आमतौर पर एक बार में तीन शावक होते हैं।

सरकार ने उठाए ये कदम
अधिकारी ने कहा कि बड़ी बिल्लियों के जीव विज्ञानियों के अनुसार शेरों की आबादी में 20% तक की मृत्यु दर आमतौर पर स्वीकार्य है, लेकिन अगर यह इससे अधिक हो जाती है, तो यह चिंता का विषय है। सरकार ने अपने जवाब में कहा कि शेरों और अन्य जंगली जानवरों को बीमारी या दुर्घटना से संबंधित मामलों में तत्काल चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पशु चिकित्सा अधिकारी नियुक्त किया गया है, और एक समर्पित एम्बुलेंस सेवा भी मौजूद है। सरकार ने कहा कि अभयारण्य क्षेत्र से गुजरने वाली सार्वजनिक सड़कों पर स्पीडब्रेकर और साइनबोर्ड लगाए गए हैं। नियमित रूप से गश्त भी की जाती है, और अधिकारी वाहनों, हथियारों और वॉकी-टॉकी से लैस होते हैं। सरकार ने कहा कि चौकियों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और सासन में एक हाई-टेक निगरानी इकाई स्थापित की गई है।

उन्होंने बताया कि 286 शेरों की मौत में से 121 की मौत 2023 में तथा 165 की मौत 2024 में हुई।

गुजरात एशियाई शेरों का दुनिया में अंतिक प्राकृतिक आवास है। जून 2020 में की गई आखिरी गणना के अनुसार, राज्य में 674 एशियाई शेर हैं, जिनमें से मुख्य रूप से गिर वन्यजीव अभयारण्य में हैं।

मंत्री ने चल रहे बजट सत्र के दौरान विधानसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि 2023 में 225 और 2024 में 231 तेंदुओं की मौत हुई।

उन्होंने बताया कि 228 शेरों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई जबकि 58 मौतें अप्राकृतिक कारणों से हुईं, जैसे वाहनों की चपेट में आना या खुले कुओं में डूब जाना।

बेरा ने बताया कि तेंदुओं में 303 मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं, जबकि 153 मौतें अप्राकृतिक कारणों से हुईं।

वन मंत्री ने सदन को बताया कि राज्य सरकार ने शेरों की अप्राकृतिक मौतों को रोकने के लिए पशु चिकित्सकों की नियुक्ति और शेरों तथा अन्य जंगली जानवरों के समय पर उपचार के लिए एम्बुलेंस सेवा शुरू करने जैसे विभिन्न कदम उठाए हैं।

India Edge News Desk

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